आज एक प्रसंग यूनानी-लोककथाओं से--- उसका नाम गैमिडोर था,ग्रीस के किसी राज्य के छोटे से गांव में रहने वाला।लोग उसे धरती-पुत्र बोलते थे।अतुलित बल का स्वामी,पहाड़ों की चट्टानों का सीना चीर कर रास्ते बना देने वाला,सूखी बंजर-जमीन को फोड़कर जल के उत्स निकाल देता था वो।
आज एक प्रसंग यूनानी-लोककथाओं से---
उसका नाम गैमिडोर था,ग्रीस के किसी राज्य के छोटे से गांव में रहने वाला।लोग उसे धरती-पुत्र बोलते थे।अतुलित बल का स्वामी,पहाड़ों की चट्टानों का सीना चीर कर रास्ते बना देने वाला,सूखी बंजर-जमीन को फोड़कर जल के उत्स निकाल देता था वो।
सभी कहते थे उसकी ताकत थी मिट्टी,मिट्टी उसके अंगों में लगते ही वो महाबली हो जाता था,पता नहीं कितनी उबड़-खाबड़ जमीन उसने अपने भुजाओं के बल पर समतल करके खेत बना दिये।
गांवों में उसकी ख्याति बढ़ने लगी,वो बल का प्रतीक माना जाने लगा।
ख्याति बढ़ी तो #हरक्यूलिस के कानों तक गयी,हरक्यूलिस बल का देवता था,धरतीपुत्र का लोक-यश उसके देवत्व को चुनौती दे रहा था।
आज लोकयश कल राजयश में बदल जायेगा,ये निश्चित था;हरक्यूलिस के बजाय राज्य का शक्ति-देव गैमिडोर होगा।
ये हरक्यूलिस को खटक रहा था।
हरक्यूलिस उसी इलाके में पहुँचा और धरती-पुत्र को मल्लयुद्ध की चुनौती दी,धरती-पुत्र ने कहा कि वो योद्धा नहीं किसान है,बल के देवता तो हरक्यूलिस ही हैं।
किंतु हरक्यूलिस को भविष्य की चिंता थी,उसने कहा-बलशाली का कर्तव्य चुनौती स्वीकार करना,मुझसे मल्ल-युद्ध करना ही होगा।
धरतीपुत्र और हरक्यूलिस किसी खेत में भिड़ गए,सारा दिन मल्ल होता रहा,धरती के पुत्र को धरती ताकत देती रही,हरक्यूलिस बार बार हारता रहा।
अब हरक्यूलिस ने सोच लिया कि क्या करना है अतः धरती-पुत्र को
राजा के अखाड़े में युद्ध के लिए आमंत्रित किया और कहा-यहाँ गंवारों के बीच उसके बल का क्या प्रयोजन?वो राजा के किले में लड़ेगा तो राजयश मिलेगा।धरती-पुत्र ने आमंत्रण स्वीकार कर लिया,भोला-भाला वो बलशाली युवक नगर पहुँच गया।
हरक्यूलिस ने अखाड़े में एक परिवर्तन करा दिया,अखाड़े की मिट्टी के ऊपर एक मोटी चटाई बिछवा दी और धरती-पुत्र से बोला-देवता आलीशान अखाड़े में लड़ते हैं,तुम्हारा सौभाग्य है कि तुम देवताओं के अखाड़े में लड़ने जा रहे हो।
नगर की सारी प्रजा उस महान मल्ल को देखने इकट्ठी हो गयी,बल का देवता हरक्यूलिस आज एक किसान से लड़ने जा रहा था,नागरिकों में कौतूहल का चरम था।
तय समय पर दोनों योद्धा भिड़े,धरती-पुत्र की ताकत थी मिट्टी,अखाड़े में मिट्टी का लेशमात्र न था।अपनी इच्छाशक्ति से वो बल के देवता से देर तक लड़ा पर शक्ति के स्रोत के अभाव में वो बुरी तरह हारा,हरक्यूलिस का देवत्व विजयी हुए,अब कोई चुनौती शेष न थी,आने वाले सैकड़ों साल तक वो देवता बना रहने वाला था।
मित्रों हमारी भी ताकत हमारी मिट्टी है,हमारे पैरों के नीचे की जमीन है,विरोधियों ने हमें हराने के लिए हमें हमेशा हमारी जमीन से काटा है, हमारे आधार से काटा है,सुंदर सी चटाइयाँ बिछाई हैं।
पर अब हमें विरोधियों को अपने अखाड़े में लाकर के मात देने का उपक्रम करना है,हमें अपनी जमीनी ताकत से किसी भी छलावे में न आकर दूर नहीं होना है।
हमारा आधार ही हमें विजय श्री दिलायेगा,मोहक चटाइयाँ हमें पराजित करती आई हैं।
उसका नाम गैमिडोर था,ग्रीस के किसी राज्य के छोटे से गांव में रहने वाला।लोग उसे धरती-पुत्र बोलते थे।अतुलित बल का स्वामी,पहाड़ों की चट्टानों का सीना चीर कर रास्ते बना देने वाला,सूखी बंजर-जमीन को फोड़कर जल के उत्स निकाल देता था वो।
सभी कहते थे उसकी ताकत थी मिट्टी,मिट्टी उसके अंगों में लगते ही वो महाबली हो जाता था,पता नहीं कितनी उबड़-खाबड़ जमीन उसने अपने भुजाओं के बल पर समतल करके खेत बना दिये।
गांवों में उसकी ख्याति बढ़ने लगी,वो बल का प्रतीक माना जाने लगा।
ख्याति बढ़ी तो #हरक्यूलिस के कानों तक गयी,हरक्यूलिस बल का देवता था,धरतीपुत्र का लोक-यश उसके देवत्व को चुनौती दे रहा था।
आज लोकयश कल राजयश में बदल जायेगा,ये निश्चित था;हरक्यूलिस के बजाय राज्य का शक्ति-देव गैमिडोर होगा।
ये हरक्यूलिस को खटक रहा था।
हरक्यूलिस उसी इलाके में पहुँचा और धरती-पुत्र को मल्लयुद्ध की चुनौती दी,धरती-पुत्र ने कहा कि वो योद्धा नहीं किसान है,बल के देवता तो हरक्यूलिस ही हैं।
किंतु हरक्यूलिस को भविष्य की चिंता थी,उसने कहा-बलशाली का कर्तव्य चुनौती स्वीकार करना,मुझसे मल्ल-युद्ध करना ही होगा।
धरतीपुत्र और हरक्यूलिस किसी खेत में भिड़ गए,सारा दिन मल्ल होता रहा,धरती के पुत्र को धरती ताकत देती रही,हरक्यूलिस बार बार हारता रहा।
अब हरक्यूलिस ने सोच लिया कि क्या करना है अतः धरती-पुत्र को
राजा के अखाड़े में युद्ध के लिए आमंत्रित किया और कहा-यहाँ गंवारों के बीच उसके बल का क्या प्रयोजन?वो राजा के किले में लड़ेगा तो राजयश मिलेगा।धरती-पुत्र ने आमंत्रण स्वीकार कर लिया,भोला-भाला वो बलशाली युवक नगर पहुँच गया।
हरक्यूलिस ने अखाड़े में एक परिवर्तन करा दिया,अखाड़े की मिट्टी के ऊपर एक मोटी चटाई बिछवा दी और धरती-पुत्र से बोला-देवता आलीशान अखाड़े में लड़ते हैं,तुम्हारा सौभाग्य है कि तुम देवताओं के अखाड़े में लड़ने जा रहे हो।
नगर की सारी प्रजा उस महान मल्ल को देखने इकट्ठी हो गयी,बल का देवता हरक्यूलिस आज एक किसान से लड़ने जा रहा था,नागरिकों में कौतूहल का चरम था।
तय समय पर दोनों योद्धा भिड़े,धरती-पुत्र की ताकत थी मिट्टी,अखाड़े में मिट्टी का लेशमात्र न था।अपनी इच्छाशक्ति से वो बल के देवता से देर तक लड़ा पर शक्ति के स्रोत के अभाव में वो बुरी तरह हारा,हरक्यूलिस का देवत्व विजयी हुए,अब कोई चुनौती शेष न थी,आने वाले सैकड़ों साल तक वो देवता बना रहने वाला था।
मित्रों हमारी भी ताकत हमारी मिट्टी है,हमारे पैरों के नीचे की जमीन है,विरोधियों ने हमें हराने के लिए हमें हमेशा हमारी जमीन से काटा है, हमारे आधार से काटा है,सुंदर सी चटाइयाँ बिछाई हैं।
पर अब हमें विरोधियों को अपने अखाड़े में लाकर के मात देने का उपक्रम करना है,हमें अपनी जमीनी ताकत से किसी भी छलावे में न आकर दूर नहीं होना है।
हमारा आधार ही हमें विजय श्री दिलायेगा,मोहक चटाइयाँ हमें पराजित करती आई हैं।
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