💐प्रथम वचन💐
तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सदैव यह प्रियवयं कुर्याणि।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी
अर्थ
यदि आप कोई व्रत-उपवास में धार्मिक कार्य या तीर्थयात्रा पर जाएंगे तो मुझे भी अपने साथ लेकर जाएंगे यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपकी वामांग में आना स्वीकार करती हूं।
💐दूसरा वचन💐
पुज्यौ यथा सवौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्याम।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनम द्वितीयं।।
अर्थ
आप अपने माता -पिता की तरह मेरे माता-पिता का भी सम्मान करेंगे और परिवार की मर्यादा का पालन करेंगे । यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना चाहता करती हूं।
💐 तीसरा वचन💐
जीवनम अवस्थात्रये मम पालनाम कुर्यात। वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तृतीयं।।
अर्थ
आप जीवन की तीनों (अवस्थाओं युवावस्था प्रौढ़ावस्था) में मेरा पालन करते रहेंगे।आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करते हैं
तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सदैव यह प्रियवयं कुर्याणि।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी
अर्थ
यदि आप कोई व्रत-उपवास में धार्मिक कार्य या तीर्थयात्रा पर जाएंगे तो मुझे भी अपने साथ लेकर जाएंगे यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपकी वामांग में आना स्वीकार करती हूं।
💐दूसरा वचन💐
पुज्यौ यथा सवौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्याम।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनम द्वितीयं।।
अर्थ
आप अपने माता -पिता की तरह मेरे माता-पिता का भी सम्मान करेंगे और परिवार की मर्यादा का पालन करेंगे । यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना चाहता करती हूं।
💐 तीसरा वचन💐
जीवनम अवस्थात्रये मम पालनाम कुर्यात। वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तृतीयं।।
अर्थ
आप जीवन की तीनों (अवस्थाओं युवावस्था प्रौढ़ावस्था) में मेरा पालन करते रहेंगे।आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करते हैं
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