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गुरुकुल शिक्षा पद्वति

👉 गुरूकुल के वीर ब्रम्हचारी ... आएगें खत अरब, उसमे ये लिखा होगा । कि गुरूकुल का ब्रम्हचारी, हलचल मचा रहा होगा ।। प्रश्नोत्तरी ( गुरूकुल शिक्षा पद्धति ) :- प्रश्न :- गुरूकुल शिक्षा प्रणाली क्या होती है ? उत्तर :- घर में न रहकर गुरू के अधीन रहते हुए ब्रह्मचर्य पूर्वक त्याग, तपस्या युक्त जीवन यापन करते हुए विद्या अर्जन करना गुरूकुल शिक्षा प्रणाली है । प्रश्न :- ब्रह्मचारी या ब्रह्मचारिणी किसे कहते हैं ? उत्तर :- जो आचार्य कुल में रहकर शरीर की रक्षा, चित की रक्षा करते हुए विद्या के लिये प्रयत्न करे उसे ब्रह्मचारी या ब्रह्मचारिणी कहते हैं । प्रश्न :- गुरूकुल में कितनी आयु के बच्चों का प्रवेश होता है ? उत्तर :- गुरूकुल में 6 वर्ष की आयु में प्रवेश होता है । या अपवाद रूप में किसी गुरूकुल में बड़ी आयु में भी प्रवेश होता ही है । प्रश्न :- गुरूकुल में प्रवेश पाने वाले बच्चों की पारिवारिक अवस्था कैसी होनी चाहिये ? उत्तर :- गुरूकुल में अमीर, गरीब, राजा, दरिद्र, आदिवासी, अछूत सबका समान रूप से प्रवेश हो सकता है, कोई भेद भाव नहीं है । प्रश्न :- गुरूकुलीय विद्यार्थी के भो...

केंद्र में कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद करीब दर्जन भर तथाकथित समाचार वेबसाइट कुकुरमुत्तों की तरह उग आईं।

केंद्र में कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद करीब दर्जन भर तथाकथित समाचार वेबसाइट कुकुरमुत्तों की तरह उग आईं। इनमें से ज्यादातर वेबसाइटों के पीछे कांग्रेस के प्रति समर्पित माने जाने वाले पुराने जमे-जमाए पत्रकार हैं। इनकी फंडिंग का जरिया बेहद रहस्यमय होता है। कुछ को विदेशों से पैसे मिल रहे हैं और कुछ को वे बड़े लोग फंड कर रहे हैं जो केंद्र में हिंदुत्ववादी सरकार को हटाकर हर हाल में कांग्रेस को सत्ता में देखना चाहते हैं। इनमें कुछ वेबसाइट अपने पत्रकारों को मोटा वेतन भी देती हैं। इन सभी की समाचार सामग्री को देखें तो समझ जाएंगे कि ये किसके लिए काम कर रही हैं। दरअसल ये 'सुपारी पत्रकारिता' का नया अवतार है। कांग्रेस को दोबारा सत्ता में लाने के लिए ये तमाम वेबसाइट स्थापित करवाई गई हैं। पिछले दिनों 'द वायर' नाम की ऐसी ही एक वेबसाइट ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे के व्यापार को लेकर मनगढ़ंत रिपोर्ट छापी। व्यापार की सामान्य जानकारी रखने वाले भी समझ रहे हैं कि इस कंपनी के कामकाज में ऐसा कुछ नहीं है जिससे अनुचित लाभ की बात साबित होती हो। वेबसाइट ने कंपनी को 80 करोड़ रु. के 'फाय...

🙏इसे पूरा न पढा तो कुछ नहीं पढा......!!....?? -: "आज किसी ने लिखा..जिसे भारतवासियों ने इतनी सक्षमता दी फिर भी वो बार-बार रोता क्यों है...?":- भाव साक्षात्कार से निकला स्पष्टीकरण

🙏इसे पूरा न पढा तो कुछ नहीं पढा......!!....?? -: "आज किसी ने लिखा..जिसे भारतवासियों ने इतनी सक्षमता दी फिर भी वो बार-बार रोता क्यों  है...?":- भाव साक्षात्कार से निकला स्पष्टीकरण एवं उत्तर::-- वो बहुत कुछ करना चाहता है अपनी संस्कृति के लिए,सनातन के लिए,राष्ट के लिए ! वो पूरी दूनिया को अपनी प्रतिभा,योग्यता,परिश्रम और साहस का लौहा मनवा रहा है! वो संसार की किसी भी ताकत से लडने को तैयार है,अपने भारत के लिए! परन्तु वो अपनों की ही उतावली, बचकानापन, अति महत्वकांक्षाओं, अपरिपक्वताओं भरी तत्काल सभी चाहतों की पूर्ति के हठ,अगडम-बगडम क्रिया-कलापों एवं टाँग अडाई से परेशान है! वो खुलकर रो भी नहीं सकता क्योंकि अपनों के अधैर्यशील कारनामों-मुर्खताओं को बाहर बताने पर भी तो विरोधी अधिक घेरगें! इससे नुकसान तो उस सोच,विचार,सिद्धांत और कार्यों का ही होगा,जिसे वो राष्ट प्रेम कहता हैं-धर्म मानता है-जिसे हम संस्कृति कहते हैं! वो रो नहीं पाता है,रूआँसा होता रहता है..! वो जिस दिन रो देगा, सच मानौ-हम तुम बहुत से भी रोयेंगें..परन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी होगी! वो अन्दर से पीडित है बहुत कुछ करने ...

इतिहास में पढ़ाया जाता है कि ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू और लगभग 1653 में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। अब सोचिए कि जब मुमताज का इंतकाल 1631 में हुआ

*इतिहास में पढ़ाया जाता है कि ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू और लगभग 1653 में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। अब सोचिए कि जब मुमताज का इंतकाल 1631 में हुआ तो फिर कैसे उन्हें 1631 में ही ताजमहल में दफना दिया गया, जबकि ताजमहल तो 1632 में बनना शुरू हुआ था। यह सब मनगढ़ंत बातें हैं जो अंग्रेज और मुस्लिम इतिहासकारों ने 18वीं सदी में लिखी।* *दरअसल 1632 में हिन्दू मंदिर को इस्लामिक लुक देने का कार्य शुरू हुआ। 1649 में इसका मुख्य द्वार बना जिस पर कुरान की आयतें तराशी गईं। इस मुख्य द्वार के ऊपर हिन्दू शैली का छोटे गुम्बद के आकार का मंडप है और अत्यंत भव्य प्रतीत होता है।*  *आस पास मीनारें खड़ी की गई और फिर सामने स्थित फव्वारे को फिर से बनाया गया।* *जे ए माॅण्डेलस्लो ने मुमताज की मृत्यु के 7 वर्ष पश्चात Voyages and Travels into the East Indies नाम से निजी पर्यटन के संस्मरणों में आगरे का तो उल्लेख किया गया है किंतु ताजमहल के निर्माण का कोई उल्लेख नहीं किया। टाॅम्हरनिए के कथन के अनुसार 20 हजार मजदूर यदि 22 वर्ष तक ताजमहल का निर्माण करते रहते तो माॅण्डेलस्लो भी उस विशाल निर्माण कार्य का...

इन दो चार महिलाओं ने श्रीराम की आरती उतारकर जैसे ही ये सन्देश देना चाहा कि सचमुच में एक दो मुस्लिम है जो कट्टर नहीं है...

इन दो चार महिलाओं ने श्रीराम की आरती उतारकर जैसे ही ये सन्देश देना चाहा कि सचमुच में एक दो मुस्लिम है जो कट्टर नहीं है... तभी वो सारे मुस्लिम जो tv पर रोज आकर भाजपा को गंगा जमुनी तहजीब का पाठ पढ़ाते थे.. वो औकात में आ गए.. असली रूप में आ गए और कह दिया कि अल्लाह को छोड़कर इन महिलाओं ने दूसरे भगवान की पूजा कर दी इसलिए ये लोग आज से मुसलमान नहीं रहे.. इन महिलाओं की आड़ में मुस्लिम समाज खुद को अच्छा साबित करने की नौटंकी कर सकते थे.. जैसे अब्दुल कलाम और हमीद जैसों की आड़ में करते हैं.. पर जल्दबाजी में मौका चूक गए और अपने असली जिहादी रूप का दर्शन करा गए... वैसे मैने ये गौर किया है कि इस्लाम मे सिर्फ महिलाएं ही हैं जो हिन्दू धर्म को आदर देती है.. और वो भी गिनी चुनी... ये वो माताएं बहनें हैं जिनके अंदर अपने घटिया समाज से लड़ने की थोड़ी बहुत हिम्मत होती है।

आज एक प्रसंग यूनानी-लोककथाओं से--- उसका नाम गैमिडोर था,ग्रीस के किसी राज्य के छोटे से गांव में रहने वाला।लोग उसे धरती-पुत्र बोलते थे।अतुलित बल का स्वामी,पहाड़ों की चट्टानों का सीना चीर कर रास्ते बना देने वाला,सूखी बंजर-जमीन को फोड़कर जल के उत्स निकाल देता था वो।

आज एक प्रसंग यूनानी-लोककथाओं से--- उसका नाम गैमिडोर था,ग्रीस के किसी राज्य के छोटे से गांव में रहने वाला।लोग उसे धरती-पुत्र बोलते थे।अतुलित बल का स्वामी,पहाड़ों की चट्टानों का सीना चीर कर रास्ते बना देने वाला,सूखी बंजर-जमीन को फोड़कर जल के उत्स निकाल देता था वो। सभी कहते थे उसकी ताकत थी मिट्टी,मिट्टी उसके अंगों में लगते ही वो महाबली हो जाता था,पता नहीं कितनी उबड़-खाबड़ जमीन उसने अपने भुजाओं के बल पर समतल करके खेत बना दिये। गांवों में उसकी ख्याति बढ़ने लगी,वो बल का प्रतीक माना जाने लगा। ख्याति बढ़ी तो #हरक्यूलिस के कानों तक गयी,हरक्यूलिस बल का देवता था,धरतीपुत्र का लोक-यश उसके देवत्व को चुनौती दे रहा था। आज लोकयश कल राजयश में बदल जायेगा,ये निश्चित था;हरक्यूलिस के बजाय राज्य का शक्ति-देव गैमिडोर होगा। ये हरक्यूलिस को खटक रहा था। हरक्यूलिस उसी इलाके में पहुँचा और धरती-पुत्र को मल्लयुद्ध की चुनौती दी,धरती-पुत्र ने कहा कि वो योद्धा नहीं किसान है,बल के देवता तो हरक्यूलिस ही हैं। किंतु हरक्यूलिस को भविष्य की चिंता थी,उसने कहा-बलशाली का कर्तव्य चुनौती स्वीकार करना,मुझसे मल्ल-युद्ध करना ही ...

विश्व के प्राचीनतम साहित्य संहिता और अरण्य ग्रंथों में इंद्र के वज्र और धनुष-बाण का उल्लेख मिलता है। भारत में धनुष-बाण का सबसे ज्यादा महत्व था

विश्व के प्राचीनतम साहित्य संहिता और अरण्य ग्रंथों में इंद्र के वज्र और धनुष-बाण का उल्लेख मिलता है। भारत में धनुष-बाण का सबसे ज्यादा महत्व था इसीलिए विद्या के संबंध में एक उपवेद धनुर्वेद है। शिव ने जिस धनुष को बनाया था उसकी टंकार से ही बादल फट जाते थे और पर्वत हिलने लगते थे। ऐसा लगता था मानो भूकंप आ गया हो। यह धनुष बहुत ही शक्तिशाली था। पिनाक (Pinaka) : यह सबसे शक्तिशाली धनुष था। संपूर्ण धर्म, योग और विद्याओं की शुरुआत भगवान शंकर से होती है और उसका अंत भी उन्हीं पर होता है। भगवान शंकर ने इस धनुष से त्रिपुरासुर को मारा था। त्रिपुरासुर अर्थात तीन महाशक्तिशाली और ब्रह्मा से अमरता का वरदान प्राप्त असुर। इसी के एक तीर से त्रिपुरासुर की तीनों नगरियों को ध्वस्त कर दिया गया था। इस धनुष का नाम पिनाक था। देवी और देवताओं के काल की समाप्ति के बाद इस धनुष को देवराज इन्द्र को सौंप दिया गया था। उल्लेखनीय है कि राजा दक्ष के यज्ञ में यज्ञ का भाग शिव को नहीं देने के कारण भगवान शंकर बहुत क्रोधित हो गए थे और उन्होंने सभी देवताओं को अपने पिनाक धनुष से नष्ट करने की ठानी। एक टंकार से धरती का वातावरण...

जो भी लोग मोदी का विरोध करते हैं उनको अपनी रणनीति बतानी चाहिए.. सबसे पहले तो आप परेशान थे कि कैसे हिन्दू विरोधी कांग्रेस को हटाया जाए...

जो भी लोग मोदी का विरोध करते हैं उनको अपनी रणनीति बतानी चाहिए.. सबसे पहले तो आप परेशान थे कि कैसे हिन्दू विरोधी कांग्रेस को हटाया जाए... और तब आपने मोदी का उपयोग हथियार के रूप में किया...  क्योंकि कांग्रेस को काटने की ताकत सिर्फ इसी अस्त्र में थी... क्या मोदी के अलावा कोई भी और था जो कांग्रेस को हटा सकता था ? बिल्कुल नहीं... मोदीजी विकास पुरुष है ना कि धर्म योद्धा... और धर्म की रक्षा करने से अम्बेडकर का संविधान रोकता है।  रही बात आपके हिंदुत्व की.. तो उसमे आपने मोदी को लाकर एक सीढ़ी पार कर ली है.. लेकिन दूसरी सीढ़ी आपको खुद तय करनी पड़ेगी... ये दूसरी सीढ़ी बनाने का मौका आपको तब नहीं मिलता जब कांग्रेस होती...  इसलिए मोदीजी आपको मौका दे रहे हैं.. छूट दे रहे हैं... वो इतना ही कर सकते हैं.. आज सारे हिन्दू संगठनों के हाथ पैर खोल दिये गए हैं.. जो कर सकते हो करो... क्योंकि कल तक तो हरेक संगठन भगवा आतंकवाद में लिप्त बना दिया गया था .. देश के बड़े बड़े लोग.... कर्नल पुरोहित, आडवाणी, आदित्यनाथ सब को आतंकवादी बनाकर जेल भेजने की कांग्रेसी चाल आज सबके सामने आ चुका है.. फिर आपकी औक...