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दिसंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पहले के सोमरस और वर्तमान शराब में अंतर

आज वो कुछ जानकारी है जो सोमरस बनाने के बारे में है जिसे शराबी लोग आज के शराब से तुलना करते है ताकि उनकी अपनी बुराई छुप जाए... पहले ही पोस्ट में बता चूका हूँ की सोमरस की विधि से शराब नहीं बनाई जा सकती क्यूंकि उसमे दूध और दही मिक्स होता था.. और ये अंगूर का रस तो कतई भी नहीं था.. सोम नाम की खुद ही एक औषधि थी.. **ऊखल और मूसल द्वारा निष्पादित सोम को पात्र से निकालकर पवित्र कुशा के आसन पर रखें और अवशिष्ट को छानने के लिए पवित्र चर्म पर रखें।  (ऋग्वेद सूक्त 28 श्लोक 9) ** सोम एक औषधि है जिसको कूट-पीसकर इसका रस निकालते हैं। निरुक्त शास्त्र (11-2-2) सोम को गाय के दूध में मिलाने पर ‘गवशिरम्’ दही में ‘दध्यशिरम्’ बनता है। शहद अथवा घी के साथ भी मिश्रण किया जाता था। सोम रस बनाने की प्रक्रिया वैदिक यज्ञों में बड़े महत्व की है। इसकी तीन अवस्थाएं हैं- पेरना, छानना और मिलाना। वैदिक साहित्य में इसका विस्तृत और सजीव वर्णन उपलब्ध है। सोम के डंठलों को पत्थरों से कूट-पीसकर तथा छलनी से छानकर प्राप्त किए जाने वाले सोमरस के लिए इंद्र, अग्नि ही नहीं और भी वैदिक देवता लालायित रहते हैं । सोम लताएं ...

वेदों की देन है लोकतंत्र की अवधारणा

लोकतंत्र की अवधारणा वेदों की देन है। ऋग्वेद में सभा और समिति का जिक्र मिलता है जिसमें राजा, मंत्री और विद्वानों से विचार-विमर्श करने के बाद ही कोई फैसला लेता था। वैदिक काल में इंद्र का चयन भी इसी आधार पर होता था। इंद्र नाम का एक पद होता था जिसे राजाओं का राजा कहा जाता था। हालांकि भारत में वैदिक काल के पतन के बाद राजतंत्रों का उदय हुआ और वे ही लंबे समय तक शासक रहे। यह संभवत: दशराज्ञा के युद्ध के बाद हुआ था। भारत में गणतंत्र का विचार वैदिक काल से चला आ रहा है। गणतंत्र शब्द का प्रयोग ऋग्वेद में चालीस बार, अथर्व वेद में 9 बार और ब्राह्माण ग्रंथों में अनेक बार किया गया है। वैदिक साहित्य में, विभिन्न स्थानों पर किए गए उल्लेखों से यह जानकारी मिलती है कि उस काल में अधिकांश स्थानों पर हमारे यहां गणतंत्रीय व्यवस्था ही थी। महाभारत में भी लोकतंत्र के इसके सूत्र मिलते हैं। पाणिनी की अष्ठाध्यायी में जनपद शब्द का उल्लेख अनेक स्थानों पर किया गया है, जिनकी शासनव्यवस्था जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथों में रहती थी। अत: यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि यूनान के गणतंत्रों से पहले ही भा...